कोरोना पर जांच की बात से भड़का चीन
सेहतराग टीम
पूरी दुनिया आज जिस कोरोना वायरस से लड़ रही है और 2 लाख के करीब लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं, उसके मूल स्थान और फैलने को लेकर जांच की मांग तेज होने लगी है। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देश अब इस मामले में चीन की जवाबदेही तय करने की कोशिशों में जुट गए हैं और विकसित देशों के इस प्रयाास से चीन बुरी तरह गुस्से में है। चीन की सरकार ने साफ कर दिया है कि वो ऐसी किसी जांच के पक्ष में नहीं खड़ा होगा। साथ ही चीन की सरकार ने ये भी कहा है कि अतीत में इस तरह की किसी भी जांच से कोई नतीजा नहीं हासिल हुआ है। उसने ये भी कहा है कि ऐसी किसी जांच को करने के लिए कोई कानूनी आधार भी नहीं उपलब्ध है।
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अलावा ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने कोविड-19 के स्रोत को लेकर चीन से अधिक पारदर्शिता की मांग की है। ट्रंप ने वायरस के स्रोत की जांच की मांग को आगे बढ़ाते हुए कहा है कि इसका पता लगाया जाना चाहिए कि क्या यह वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से निकला था।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग के अनुसार ऐसी किसी भी जांच का उद्देश्य यह पता लगाने का होना चाहिए कि यह कैसे होता है और मानव जाति को भविष्य में होने वाले नुकसान को रोकने का होना चाहिए। इसका उद्देश्य प्रतिशोध या जवाबदेही तय करना नहीं होना चाहिए। इस संबंध में दुनिया में कोई मिसाल नहीं है और न ही इसका कोई कानूनी आधार है।'
शुआंग ने कहा कि पहले भी ऐसे वायरस की जांच से बहुत अधिक हासिल नहीं हुआ। उन्होंने कहा, 'वायरस की उत्पत्ति का स्रोत विज्ञान का विषय है और इसका अध्ययन वैज्ञानिकों और पेशेवरों द्वारा किया जाना चाहिए। इस तरह का अनुसंधान और निर्णायक उत्तर केवल महामारी विज्ञान के अध्ययन और वायरोलॉजी अध्ययनों से सबूत प्राप्त होने के बाद ही हासिल किया जा सकता है। यह एक बहुत ही जटिल मुद्दा है, अक्सर इसमें बहुत समय लगता है और अनिश्चितता होती है।'
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में सोमवार को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार शुआंग ने कहा, 'पूरे मानव इतिहास में, कई बीमारियों की उत्पत्ति का पता लगाने में एक दर्जन साल या दशकों लग गए। कुछ प्रगति हुई लेकिन कोई निर्णायक जवाब नहीं मिला। कार्य अभी भी चल रहा है।'
दरअसल विकसित देशों की पहल से चीन को कोरोना वायरस को लेकर जवाबदेही से अधिक खतरा अपनी अर्थव्यवस्था को लगने वाले संभावित झटके से है। दरअसल कोरोना वायरस के फैलने से पहले पूरी दुनिया में चीन का डंका बज रहा था और अपनी बेल्ट एंड रोड इनिशियेटिव (बीआरआई) के जरिये उसने दुनिया के कई देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसा लिया था। हालांकि तब भी अमेरिका और भारत जैसे देश उसके झांसे में नहीं आए थे। अब कोरोना के इस संकट के बाद चीनी नेतृत्व को इस बात का खतरा सता रहा है कि उसके बीआरआई प्रोजेक्ट से कई देश अलग हो सकते हैं। ऐसा होने पर चीन की अर्थव्यवस्था को झटका लगना तय है। ये चीन के लिए ज्यादा खतरे वाली बात होगी।
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